Daridraya Dahana Stotram – वसिष्ठ ऋषि के द्वारा रचित दारिद्रय दहन शिव स्तोत्र मूल रूप से मनुष्य के शारीरिक और मानसिक दरिद्रता (गरीबी) को नाश करने में सक्षम है। कर्ज-मुक्ति और व्यापार में उन्नति के लिए इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए क्योंकि जैसा इस स्तोत्र का नाम है वैसा ही इसका फल है।
आज के युग में अधिकांश मनुष्य मानसिक दरिद्रता जैसे – काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, स्वार्थ, ईर्ष्या, भय आदि से ग्रसित हैं। दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र (Daridraya Dahana Shiv Stotra) जाप से मनुष्य को भौतिक सुख-समृद्धि के साथ-साथ मन से भी समृद्ध बनाती है, अर्थात स्वस्थ मन देती है, क्योंकि भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा है और चंद्रमा मन का कारक है।
दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र | Daridraya Dahana Shiv Stotram in Hindi
॥ दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र ॥
विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कणामृताय शशिशेखरधारणाय ।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥१॥
अर्थ ॥१॥ – जो समस्त विश्व के स्वामी हैं, नरकरूपी संसार सागर से उद्धार करने वाले हैं, जो कानों से श्रवण करने में अमृत के समान नाम वाले हैं, जो अपने भाल पर चन्द्रमा को आभूषणरूप में धारण करने वाले हैं, जो कर्पूर की कांति के समान धवल वर्ण वाले जटाधारी हैं, वो दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।
गंगाधराय गजराजविमर्दनाय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥२॥
अर्थ ॥२॥- जो माता गौरी के अत्यंत प्रिय हैं, जो चन्द्रमा की कला को धारण करने वाले हैं, जो काल के भी यमरूप हैं, जो नागराज को कंकण रूप में धारण करने वाले हैं, जो अपने मस्तक पर गंगा को धारण करने वाले हैं, जो गजराज का विमर्दन करने वाले हैं, वो दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।
भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥३॥
अर्थ ॥३॥- जो भक्तिप्रिय, संसाररूपी रोग एवं भय के विनाशक हैं, जो संहार के समय उग्ररूपधारी हैं, जो दुर्गम भवसागर से पार कराने वाले हैं, जो ज्योतिस्वरूप, अपने गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करने वाले हैं, वो दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।
चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय
मंजीर पादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय ॥४॥
अर्थ ॥४॥ – जो बाघ के चर्म को धारण करने वाले हैं, जो चिताभस्म को लगाने वाले हैं, जो भाल में तीसरा नेत्र धारण करने वाले हैं, जो मणियों के कुण्डल से सुशोभित हैं, जो अपने चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी हैं, वो दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।
पंचाननाय फनिराज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय
आनंदभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय ॥५॥
अर्थ ॥५॥- जो पांच मुख वाले नागराज रूपी आभूषण से सुसज्जित हैं, जो सुवर्ण के समान किरणवाले हैं, जो आनंदभूमि (काशी) को वर प्रदान करने वाले हैं, जो सृष्टि के संहार के लिए तमोगुण धारण करनेवाले हैं, वो दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है
(Daridraya Dahana Shiv Stotram)
भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालान्तकाय कमलासन पूजिताय
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय ॥६॥
अर्थ ॥६॥- जो सूर्य को अत्यंत प्रिय हैं, जो भवसागर से उद्धार करने वाले हैं, जो काल के लिए भी महाकालस्वरूप,और जिनकी कमलासन (ब्रम्हा) पूजा करते हैं, जो तीन नेत्रों को धारण करने वाले हैं, जो शुभ लक्षणों से युक्त हैं, वो दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥७॥
अर्थ ॥७॥- जो भगवान राम को अत्यंत प्रिय, रघुनाथजी को वर देने वाले हैं, जो सर्पों के अतिप्रिय हैं, जो भवसागररूपी नरक से तारने वाले हैं, जो पुण्यवानों में परिपूर्ण पुण्यवाले वाले हैं, जिनकी समस्त देवतापूजा करते हैं, वो दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥८॥
अर्थ ॥८॥ – जो मुक्तजनों के स्वामीस्वरूप हैं, जो चारों पुरुषार्थों के फल देने वाले हैं, जिन्हें स्तुति प्रिय हैं और नंदी जिनका वाहन है, जो गजचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले हैं, जो महेश्वर हैं, वो दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणं ।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात् ॥
अर्थ – वसिष्ठ द्वारा निर्मित इस स्तोत्र का जो भक्त नित्य तीनों कालों में पाठ करता है, उसे समस्त रोगों से मुक्ति मिलेगी, शीघ्र ही समस्त संपत्ति प्राप्त होगी, पौत्रादि वंश परम्परा बढ़ेगी और निश्चय ही उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
॥ इति वसिष्ठ विरचितं दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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FAQs- दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र | Daridraya Dahana Shiv Stotram Lyrics
1. दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के रचयिता कौन हैं?
दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र की रचना वसिष्ठ ऋषि नें किया था।
2. दारिद्र्य दहन स्तोत्र में कितने श्लोक हैं?
दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र में कुल 8 श्लोक हैं तथा आखिरी के 1 श्लोक बाद में जोड़े गए हैं।
3. दारिद्र्य दहनस्तोत्र का पाठ करनें से क्या लाभ है?
दारिद्रय दहन शिव स्तोत्र दरिद्रता (गरीबी) को नाश करने में सक्षम है। कर्ज मुक्ति और व्यापार में उन्नति के लिए इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
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