Dwadashi Kab Hai 2024: हिन्दू कलैंडर के अनुसार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के 12वीं तिथि को द्वादशी या बारस कहते हैं। एक चंद्र मास में दो और साल में 24 Baras तिथि होती है। तो आइये जानते है साल 2024 में द्वादशी तिथि कब है –
द्वादशी कब है 2024 | Dwadashi Kab Hai
द्वादशी तिथि कब है इस महीने में
साल 2024 जनवरी से दिसंबर तक की द्वादशी तिथि की सूची नीचे टेबल में दी गई है। चलिए देखते है हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस महीने में Dwadashi Tithi कब है –
तारीख | पक्ष | दिन |
---|---|---|
8 जनवरी 2024 | कृष्ण पक्ष | सोमवार |
22 जनवरी 2024 | शुक्ल पक्ष | सोमवार |
7 फरवरी 2024 | कृष्ण पक्ष | बुधवार |
21 फरवरी 2024 | शुक्ल पक्ष | बुधवार |
7 मार्च 2024 | कृष्ण पक्ष | गुरुवार |
21 मार्च 2024 | शुक्ल पक्ष | गुरुवार |
6 अप्रैल 2024 | कृष्ण पक्ष | शनिवार |
20 अप्रैल 2024 | शुक्ल पक्ष | शनिवार |
5 मई 2024 | कृष्ण पक्ष | रविवार |
20 मई 2024 | शुक्ल पक्ष | सोमवार |
3 जून 2024 | कृष्ण पक्ष | सोमवार |
19 जून 2024 | शुक्ल पक्ष | बुधवार |
3 जुलाई 2024 | कृष्ण पक्ष | बुधवार |
18 जुलाई 2024 | शुक्ल पक्ष | गुरुवार |
1 अगस्त 2024 | कृष्ण पक्ष | गुरुवार |
17 अगस्त 2024 (द्वादशी व त्रयोदशी) | शुक्ल पक्ष | शनिवार |
30 अगस्त 2024 | कृष्ण पक्ष | शुक्रवार |
15 सितंबर 2024 | शुक्ल पक्ष | रविवार |
29 सितंबर 2024 | कृष्ण पक्ष | रविवार |
14 अक्टूबर 2024 (एकादशी व द्वादशी) | शुक्ल पक्ष | सोमवार |
29 अक्टूबर 2024 | कृष्ण पक्ष | मंगलवार |
13 नवंबर 2024 | शुक्ल पक्ष | बुधवार |
27 नवंबर 2024 | कृष्ण पक्ष | बुधवार |
12 दिसंबर 2024 | शुक्ल पक्ष | गुरुवार |
27 दिसंबर 2024 | कृष्ण पक्ष | शुक्रवार |
द्वादशी तिथि का महत्व
- चन्द्र मास के अनुसार द्वादशी तिथि भद्रा तिथियों में से एक है। इस तिथि में विष्टि करण होने के कारण इसे भद्रा तिथि भी कहा जाता है। इस तिथि के स्वामी श्री विष्णु जी है। इस तिथि का विशेष नाम यशोबला है।
- इस तिथि में नए घर का निर्माण करना तथा नए घर में प्रवेश तथा यात्रा का त्याग करना चाहिए.
- इस तिथि में विवाह, तथा अन्य शुभ कर्म किए जा सकते हैं।
द्वादशी तिथि पर्व
द्वादशी तिथि के दौरान विभिन्न पूजा-पाठ और पर्व मनाए जाते हैं। वर्ष भर के दौरान कुछ ऎसे त्यौहार और उत्सव आते हैं जो द्वादशी तिथि के अवसर पर आयोजित होते हैं –
- तिल द्वादशी
माघ माह की द्वादशी तिल द्वादशी के रुप में मनायी जाती है। इस दिन तिल से श्री विष्णु का पूजन किया जाता है. इस दिन ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, आदि का बहुत ही महत्व है।
- वामन द्वादशी
भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की द्वादशी वामन द्वादशी के रुप में मनायी जाती है। इस तिथि में भगवान श्री विष्णु ने वामन का अवतार लिया था।
- अखण्ड द्वादशी
मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी अखण्ड द्वादशी के नाम से जानी जाती है। इस दिन विष्णु पूजा एवं व्रत का संकल्प किया जाता है। अखण्ड द्वादशी समस्त पापों का नाश करती है और सौभाग्य प्रदान करती है।
- गोवत्स द्वादशी
गोवत्स द्वादशी कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनायी जाती है। इस दिन गाय व बछड़े की सेवा की जाती है।
FAQs – द्वादशी कब है | Dwadashi Tithi Kab Hai
1. जनवरी में बारस तिथि कब की है?
जनवरी महीने में 8 तारीख को कृष्ण पक्ष और 22 तारीख को शुक्ल पक्ष की बारस तिथि है।
2. फरवरी में बारस तिथि कब की है?
फरवरी महीने में 7 तारीख को कृष्ण पक्ष और 21 तारीख को शुक्ल पक्ष की बारस तिथि है।
3. मार्च में बारस तिथि कब की है?
मार्च महीने में 7 तारीख को कृष्ण पक्ष और 21 तारीख को शुक्ल पक्ष की बारस तिथि है।
4. अप्रैल में बारस तिथि कब की है?
अप्रैल महीने में 6 तारीख को कृष्ण पक्ष और 20 तारीख को शुक्ल पक्ष की बारस तिथि है।
5. मई में बारस तिथि कब की है?
मई महीने में 5 तारीख को कृष्ण पक्ष और 20 तारीख को शुक्ल पक्ष की बारस तिथि है।
6. जून में बारस तिथि कब की है?
जून महीने में 3 तारीख को कृष्ण पक्ष और 19 तारीख को शुक्ल पक्ष की बारस तिथि है।
7. जुलाई में बारस तिथि कब की है?
जुलाई महीने में 3 तारीख को कृष्ण पक्ष और 18 तारीख को शुक्ल पक्ष की बारस तिथि है।
8. अगस्त में बारस तिथि कब की है?
अगस्त महीने में 1 व 30 तारीख को कृष्ण पक्ष और 17 तारीख को शुक्ल पक्ष की बारस तिथि है।
9. सितम्बर में बारस तिथि कब की है?
सितम्बर महीने में 15 तारीख को शुक्ल पक्ष और 29 तारीख को कृष्ण पक्ष की बारस तिथि है।
10. अक्टूबर में बारस तिथि कब की है?
अक्टूबर महीने में 14 तारीख को शुक्ल पक्ष और 29 तारीख को कृष्ण पक्ष की बारस तिथि है।
11. नवंबर में बारस तिथि कब की है?
नवंबर महीने में 13 तारीख को शुक्ल पक्ष और 27 तारीख को कृष्ण पक्ष की बारस तिथि है।
12. दिसंबर में बारस तिथि कब की है?
दिसंबर महीने में 12 तारीख को शुक्ल पक्ष और 27 तारीख को कृष्ण पक्ष की बारस तिथि है।
हिंदू पंचांग की अन्य तिथियाँ
हिंदू कैलेंडर में भी महीने (मास) में 30 तिथियां होती हैं और एक चंद्र मास में दो पक्ष होते हैं – शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष और प्रत्येक पक्ष में 15-15 तिथियां होती है। दोनों पक्षों में 14 तिथियां समान होती है लेकिन कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि अमावस्या और शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि पूर्णिमा कही जाती है।
हिंदू पंचांग की तिथियाँ है–
- प्रतिपदा (पड़वा, एकम) – चंद्र मास की पहली तिथि
- द्वितीया (दूज) – चंद्र मास की दूसरी तिथि
- तृतीया (तीज) – चंद्र मास की तीसरी तिथि
- चतुर्थी (चौथ) – चंद्र मास की चौथी तिथि
- पंचमी (पंचमी) – चंद्र मास की पांचवी तिथि
- षष्ठी (छठ) – चंद्र मास की छठी तिथि
- सप्तमी (सातम) – चंद्र मास की सातवीं तिथि
- अष्टमी (आठम) - चंद्र मास की आठवीं तिथि
- नवमी (नौमी) – चंद्र मास की नवमी तिथि
- दशमी (दसम) – चंद्र मास की दशमी तिथि
- एकादशी (ग्यारस) – चंद्र मास की ग्यारवीं तिथि
- द्वादशी (बारस) – चंद्र मास की बाहरवीं तिथि
- त्रयोदशी (तेरस) – चंद्र मास की तेहरवीं तिथि
- चतुर्दशी (चौदस) – चंद्र मास की चौहदवीं तिथि
- पूर्णिमा (पूरनमासी, पूर्णमासी) – शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि
- अमावस्या (अमावस) – कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि
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