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श्री हरि स्तोत्रम् – Shri Hari Stotram Lyrics in Hindi with Meaning


Shri Hari Stotram Lyrics – श्री हरि स्तोत्रम (हरिस्तोत्रम्ज) या विष्णु स्तोत्रम में भगवान विष्णु के अद्वैत रूप का, सृष्टि को संभालने वाले, सभी लोकों के पालने वाले और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के उत्थान का वर्णन किया गया है।

भगवान विष्णु को हिंदू धर्म के सभी देवताओ मे सबसे उच्च स्थान प्राप्त है क्यूंकि विष्णु ही जगत के पालनहार एवं उध्दारकर्ता है। वे अपने भक्तों के लिए दयावान और शत्रुओं के लिए भयकारक है। श्री हरि स्तोत्रम पाठ को करने से भक्तों का चित्त शांत होता है और आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति होती है।

श्री हरि स्तोत्रम् लिरिक्स | Vishnu Stotram Lyrics

प्रस्तुस है हरिस्तोत्रम्ज का सम्पूर्ण श्लोक तथा स्तोत्र पाठ का हिंदी व्याख्या –

Lord Vishnu- Shri Hari Stotram
Lord Vishnu – Shri Hari Stotram

|| अथ श्री हरि स्तोत्रम् ||

जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं
शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं।
नभोनीलकायं दुरावारमायं
सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥1॥

सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं
जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं।
गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं
हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥2॥

रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं
जलान्तर्विहारं धराभारहारं।
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं
ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥3॥

जराजन्महीनं परानन्दपीनं
समाधानलीनं सदैवानवीनं।
जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं
त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥4॥

कृताम्नायगानं खगाधीशयानं
विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं।
स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं
निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥5॥

समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं
जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं।
सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं
सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥6॥

सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं
गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं।
सदा युद्धधीरं महावीरवीरं
महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥7॥

रमावामभागं तलानग्रनागं
कृताधीनयागं गतारागरागं।
मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं
गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥8॥

||फलश्रुति||

इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं
पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:।
स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं
जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो॥

|| इति श्री हरि स्तोत्रम् ||

Shri Hari Stotram Hindi। हरिस्तोत्रम्ज (विष्णु स्तोत्र) व्याख्या

अर्थ – जो समस्त जगत के पालनहार व रक्षक है, जिनके गले (कंठ) मे चकदार माला सुसोभित है, जिनका मस्त्क शरद ऋतु के चंद्रमा के समान है, जो असुरो व दैत्यो के काल समान है, जिनकी काया नभ (आकाश ) के नीले रंग के समान है, जो अजेय मायावी (भ्रम) शक्तियों के स्वामी है, जो देवी लक्ष्मी के साथ रहते है, मै उनको भजता हू, उनकी प्रार्थना करता हू।

अर्थ – जो सदा समुद्र मे वास करते है, जिनकी मुस्कान फूलो जैसी है, जो जगत मे हर जगह विराजमान है, जिनके पास सौ सूर्यों सी चमक है, जिनके पास शस्त्र के रुप मे गदा व चक्र है, जो पीले वस्त्र धारण करते है, जिनके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान है, उन भगवान विष्णु को हम बरम्बार भजता है।

अर्थ – जो लक्ष्मी के गले मे माला है, जो वेदो के सार है, जो जल में विहार करते हैं, जो पृथ्वी का भार धारण करते है, जिनके पास एक सदा आनंदमय रुप है, जो मन को आकर्षित करता है, जिन्होने अनेकों रूप धारण किये हैं, उन भगवान विष्णु को हम भजते है।

अर्थ – जो जन्म और मृत्यु से मुक्त हो, जो परम सुख से भरे है, जिनका मन सदैव शांति और स्थिर रहता है, जो सदैव नवीन प्रतीत होते है, जो संसार के जन्म के करक है, जो देव-सेना के रक्षक है, जो तीनो लोको के बीच सेतु है, हम उन भगवान विष्णु को भजते है।

अर्थ – जो वेदो के गायक है, जो पक्षियो के राजा गरुड़ पर सवारी करते है, जो मुक्तिदाता है, जो शत्रुओं का मान हरते है, जो अपने भक्तो के अनुकूल है, जो जगत रूपी वृक्ष के जड है, जो सभी दुखो का निवारण करते है, हम उन भगवान विष्णु को भजते है।

अर्थ – जो सभी देवो के स्वामी है, जिनके केश का रंग काले मधु मख्खी के समान है, जो पृथ्वी को अपना एक कण मानते है, जिनके पास आकाश जैसा विशाल शरीर है, जिनका शरीर दिव्य है, जो सभी प्रकार के मोह से मुक्त है, बैकुंठ (स्वर्ग) जिनका निवास है, हम उन भगवान विष्णु को भजते है।

अर्थ – जो सब देवो मे सबसे बलशाली है, तीनो लोकों मे श्रेष्ठ है, जो एक ही स्वरुप मे उजागर होते है, जो युद्ध में सदा विजयी होते है, जो वीरो मे महावीर है, जो आपको समुद्र रुपी जीवन से पार ले जाते है, हम उन भगवान विष्णु को भजते है।

अर्थ – जिनके बांए भाग में माता लक्ष्मी विराजी होती है, जो नागदेवता पर विराजमान रहते है, जो भक्ति, पूजा से प्राप्त किये जा सकते है, जो सभी सांसारिक मोह से दूर है, जिनकी भक्ति से सारा मोह-माया छूट जाता है, ऋषि मुनि जिनके संगीत गेट है, जिन्हे सभी देवी-देवता द्वारा सेवा दी जाती है, जो सभी गुणो से भरे है, हम उन भगवान विष्णु को भजते है।

अर्थ – भगवान हरि का ये अष्टक पाठ जो की मुरारी के कंठ की माला के समान है, जो भी इसे सच्चे मन से पढेग, वो निसंदेह सभी प्रकार के दुखो. शोको और जन्म-मरण से मुक्त हो जायेगा। वो बैकुंठ धाम को प्राप्त होगा, उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

(Shri Hari Stotram Lyrics in Hindi | Shri Vishnu Stotram Lyrics in Hindi)


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